सोमवार, 27 जुलाई 2015

आईना

ahsas-ek sapna

आईना कही दर्दे दिल की हकीकत ना बयाँ कर दे
इसलिए आइनों में सूरत देखना छोड़ दिया उसने
कभी रोशन थे सतरंगी चिराग जिनकी महफ़िल में
मसरूफ रहने का अंदाज शायद सीख लिया उसने
गैर से हो गए है वो जो गुलनार से खिल जाते थे 
प्यार उमड़े न फिर, नाम से रिश्ता तोड़ लिया उसने ……
पर, जख्म सब्ज़ रहे इश्क़ और मोहब्बत के तरानों के
इसलिए किताब-ए-दिल में सूखा गुलाब रहने दिया उसने ..

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