सोमवार, 13 अगस्त 2012

ये कैसे बदलते रिश्ते .....

ये कैसे बदलते रिश्ते .....

वक़्त की दरिया में बह  जाते है कुछ  दिल के रिश्ते
तूफ़ान और नदिया से उमड़ते कुछ अनछुए रिश्ते .....

रेंत की मानिंद हथेली से फिसलते कुछ पुलकित  रिश्ते 
सैलाब की  धारा से मिटते है कुछ बनते सवरतें  रिश्ते 
दिल की गहराइयों में भी सिमटते है कुछ अनूठे रिश्ते 
प्यार की नीवं को भी तरसते है  कुछ  अनजाने  रिश्ते ....

फूलों से महकते है इश्क मोहब्ब्बत से पल्लवित रिश्ते 
काँटों की चुभन से आनंदित होते है दर्दे दिल के रिश्ते 
समय की मझधार में नित मिलते है रिश्ते दर रिश्ते 
पलक झपकते ही पलट जाते है होते है कुछ ऐसे रिश्ते ....

राह चलते चलते भी बन जाते है, है कुछ ऐसे रिश्ते 
इन्सान को भी आइना दिखाते है कुछ सिमटते रिश्ते 
हमने भी देखे है मौसम की तरह हर रोज  बदलते  रिश्ते 
रिश्तों के मायने से भी सजते है  कुछ रिश्तों के रिश्ते ....