शुक्रवार, 24 जून 2016

इस्तकबाल

ahsas-ek sapna



वो मुस्कुरा कर दिलों का इस्तकबाल करता है
ये दीगर है एक तीर से दो दो शिकार करता है
बस दिल की हसरत है कि मेरी राह देखती है
वरना ,कौन यहाँ किसी का इंतज़ार करता है
ख़्वाबों ख्यालों में भी ना आये जो मेरे रकीब के
कुछ आड़े तिरछे करतब मेरा दिलदार करता है
कुछ इस तरीके से सिमटी थी फूल में तितली
ना जाने कौन किसे कितना प्यार करता है ..Sanjay Rai