गुरुवार, 21 नवंबर 2013

आखिर दिल तो हमारा है.

आपके नाज़ों अदाओं पर ही तो दिल निसार हमारा है ......
अक्स अगर तुम्हारा है तो आईना -ए-  दिल हमारा है ..... 
ग़र जो दिल मिल जाये, फिर हर एक ज़ुल्म ग़वारा है.......
काटों का दर्द किसने देखा है गुलिस्तां सबको प्यारा है......

वो शौक से फरेब देते रहे, रेत पर कब बना आशियाना है ......
बादलों के मध्य भी चाँदनी को चाँद के पास ही आना है ...... 
बचपन की शोखी शरारत को दिलकश संगीत बनाना है ...
जल के जो ना बुझे, तेरे धड़कनो में वो अगन लगाना है 

कैसे गुज़रे कोई यहाँ से , तुमको सज़दा किये बगैर ...
तुम्हारी सादगी से बचे कैसे बड़ी शिद्दत से पुकारा है....
काहे का शिकवा ,शिकायत जब सब कुछ तुम्हारा है ..
दर्द तो होता है, मगर....... आखिर दिल तो हमारा  है....