शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

KUCH TO KAHO


जिसे चाहा हमने आपनी जां समज  कर 
उससे जुदाई  के ख्याल से भी आंख  भर आती है
इश्क , प्यार  और मोहब्बत का ऐ कैसा दौर है 
अब तो हमारी तन्हाई भी हमारा मजाक उड़ाती है 

शीशे में जो देखते है अपनी सूरत 
बस उसकी अक्स ऐ सूरत नज़र आती है
क्या करे , तू ही बता , ऐ खुदा
उसकी यादें दिल को तड़पा जाती है 

उसकी एक आवाज़ को तरश गए हम
उसका  न बोलना अब मेरे होश उड़ा ले जाती है
उसकी मोहब्बत में , काफ़िर हो गए हम 
अब तो हर शै में हमें उनकी सूरत  नज़र आती है 

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