शनिवार, 29 सितंबर 2012

वफ़ा-ये-इश्क




रिश्ता-ये-दर्दे दिल अब तो निभा दीजिये ,
आखिरी वक़्त है जरा कन्धा लगा दीजिये,
होते है मोहब्बत में युही जिंदगी के जलवे 
आप वफ़ा-ये-इश्क का रिश्ता  निभा दीजिये  !

गुलशन में रोज़ खिलते है हजारों फूल युही 
आप  भी अपनी एक बगियाँ लगा लीजिये 
मेरी धडकनों  में है बसर आपका ये सनम 
आप आपनी यादों में अब तो बसा लीजिये !!

है ख्याविश चाँद , तारों की सबको ,यहाँ 
हमें बस एक बार नूर-ये- नज़र करा दीजिये 
है आपको पाने का ख्वाब हर दिल अजीज़ की 
हमको तो बस सुरीली आवाज़ सुना दीजिये !!!

युही तडपे है आपके दरश को मेरे हमदम 
आसमां में महताब की घटा छिटका दीजिये 
आप तो साहिल पर है आपके बस में है
मचलते हुए दिलो-जिगर पर मरहम लगा दीजिये !!!!

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