जिसे चाहा हमने आपनी जां समज कर
उससे जुदाई के ख्याल से भी आंख भर आती है
इश्क , प्यार और मोहब्बत का ऐ कैसा दौर है
अब तो हमारी तन्हाई भी हमारा मजाक उड़ाती है
शीशे में जो देखते है अपनी सूरत
बस उसकी अक्स ऐ सूरत नज़र आती है
क्या करे , तू ही बता , ऐ खुदा
उसकी यादें दिल को तड़पा जाती है
उसकी एक आवाज़ को तरश गए हम
उसका न बोलना अब मेरे होश उड़ा ले जाती है
उसकी मोहब्बत में , काफ़िर हो गए हम
अब तो हर शै में हमें उनकी सूरत नज़र आती है
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