तुम बुलाओं और मैं ना आऊं ऐसे भी तो हालात नहीं
राहें ही तो बदल गयी है दिल में है अभी ज़ज़्बात वही
रिमझिम बरसा सावन लेकिन बुझती इससे अगन नहीं
मद्धिम मद्धिम अरमां सुलगे पर उसमे भी कोई राग नहीं
राहें ही तो बदल गयी है दिल में है अभी ज़ज़्बात वही
रिमझिम बरसा सावन लेकिन बुझती इससे अगन नहीं
मद्धिम मद्धिम अरमां सुलगे पर उसमे भी कोई राग नहीं
ख़त्म हुआ अब अफ़साना ,वक़्त सा कोई चालबाज़ नहीं
जिस शैं में था इश्क़ का पहरा अब छुपा कोई राज़ नहीं
मेरे ग़मगीं होने पर यु हैरान ना हो,तू मेरा महताब नहीं
मैं चहुँ फलक सा बिखरा हूँ ,पर तू अब मेरा आज नहीं ....Sanjay Rai
जिस शैं में था इश्क़ का पहरा अब छुपा कोई राज़ नहीं
मेरे ग़मगीं होने पर यु हैरान ना हो,तू मेरा महताब नहीं
मैं चहुँ फलक सा बिखरा हूँ ,पर तू अब मेरा आज नहीं ....Sanjay Rai
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