उन्हें पाने को मेरा इश्क़- ए- जुनूँ हद तक जारी रहे
कि पाज़ेब की झनकार दिल के मैकदो में शामिल रहे
कि पाज़ेब की झनकार दिल के मैकदो में शामिल रहे
नूर-ए-चांदनी से चेहरे पर छाया है ख़ुशी का सबेरा
कि आरज़ू-ए-शकून ,महफिल-ए-तरन्नुम बाकी रहे
मोहब्बत में डूबी- डूबी सी लगती है फ़िज़ा की रंगत ,
कि तसव्वुर में सजनी से मिलन की राह सजती रहे
कि तसव्वुर में सजनी से मिलन की राह सजती रहे
बेपरवाह अदाओं की बारिश से लरजती मयक़शा ऑंखें
कि मेरे दिलकश शाकी की तमनाएँ आरज़ू भी बाकी रहे,
कि मेरे दिलकश शाकी की तमनाएँ आरज़ू भी बाकी रहे,
बूंद बूंद सी बिखरी ज़श्न-ए-जुस्तज़ू की महफ़िल यारों
कि खामोश निग़ाहों में फिर भी उनकी तलाश बाकी रहे.
कि खामोश निग़ाहों में फिर भी उनकी तलाश बाकी रहे.
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