रातो की तन्हाई में ,चांदनी रातों में अक्सर सोचा करते हैं
क्या खास है तुम में ये मेरी जां , जो हम तुम पर मरते हैं !
खुद से खुद बारम्बार दिल से मैंने एक ही सवाल किया
जवाब आया यही , तुमने ही हर बार प्यार का इज़हार किया !!
तुम को पाकर हम हुए मदहोश से , जुदा हुए तो बावरें हुए
कोशिश की हमने पर बदल न पाए अपने हाथ की लकीरों को !
पलकों में बसे ख्वाबों में तेरे पास होने का सुखद एहसास है
दूर तू है मेरी नजरो से मगर ,मेरी धड़कन का तेरे दिल ही वास है !!
तेरे दीदार को तरस गए मेरे नयन , मोहब्बत की बगिया भी उजाड़ है
आसमां में तारे तरसते है चादनी के दीदार को , चाँद का भी बुरा हाल है !
लौट के आजा मेरे हमदम , इश्क का दरिया भी तेरे बिना उदास है
इंतज़ार की इन्तहान न हो जाये कही , आजा जब तक मेरी साँसों में सांस है !!